क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज़ादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?


प्रेमचंद स्वतंत्रता पूर्व के दौर के लेखक हैं। इनकी रचनाओं में भी इसका प्रभाव देखा गया है। “दो बैलों की कथा” नामक कहानी भी इससे अछूती नहीं है।

मनुष्य हो या पशु पराधीनता किसी को भी स्वीकार नहीं है। सभी स्वतंत्र होना चाहते हैं। प्रस्तुत कहानी का मूल आधार भी यही है। प्रेमचंद ने अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों पर किए गए अत्याचारों को मनुष्य तथा पशु के माध्यम से व्यक्त किया है। इस कहानी में उन्होंने यह भी कहा है कि स्वतंत्रता सहज ही नहीं मिलती, इसके लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ता है। जैसे क्रांतिकारियों को कालापानी की सजा होती थी उसी तरह इनको भी कांजीहौस में बंद कर दिया जाता है। वहाँ ये अपने साथियों को मुक्त कराते हैं। दोनों को मारने के लिए बाधिक के हाथों बेच दिया जाता है, परंतु अंततः ये झूरी के घर अर्थात स्वदेश वापस आ जाते हैं। इस प्रकार से यह कहानी आज़ादी की भावना से जुड़ी है।


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